Banyan Tree in Hindi: दोस्तों हम से लगभग सभी ने बरगद के पेड़ के बारे में सुना है और Bargad ka ped देखा भी है। पर क्या हम उसके महत्व को को जानते हैं ? आज हम इसी पे चर्चा करेंगे। दोस्तों स्वागत है आपका इस आर्टिकल essay on banyan tree in hindi.
bargad ka ped in hindi – About banyan tree in hindi
तो bargad ka ped यानि की Banyan Tree एक घने आकर वाला एक विशाल वृक्ष है जो भारतीय उपमहाद्वीप में पाया जाता है।
यह एक बहुवर्षीय पेड़ है। कहने का मतलब यह एक लम्बी आयु वाला पेड़ है जो 500 से लेकर 1000 साल तक जिन्दा रह सकता है।
इसका तना बहुत ही मोटा होता है इसकी शाखाएं भी काफी लम्बी होती हैं जो हवा में लटकती रहती हैं एंड धीरे धीरे बड़ी होके वापस जमीन में धंस जाती हैं और एक खम्बे का रूप ले लेती हैं।
बरगद की इन जड़ों को बरोह जड़ भी कहते हैं।
bargad ka ped का फल लाल रंग का होता है जैसा की आप नीचे फोटो में देख सकते हैं। यह फल गोलाकार आकार का होता है। और इस फल के अंदर बीज होता है।

यह बीज बहुत ही छोटा होता है बरगद का पेड़ हम सब जानते हैं की काफी बडा और घना होता है। इसका तना बहुत मोटा होता है।
Bargad ka ped ka patta | बरगद के पत्ते का उपयोग
बरगद के पेंड की पत्तियां चौड़ी और अंडे के आकार की होती हैं।
अगर आप इसकी पत्तियों को या शाखाओं एंव कलिकाओं को तोड़ते हैं तो उसमे से दूध निकलता है जिसे लेटेक्स कहते हैं ।
सो दोस्तों आपको यह तो समझ में आ गया होगा की Banyan Tree in Hindi क्या है। ये वही bargad ka ped है जिसे हम सब जानते है।
बरगद के पेंड के पत्ते का उपयोग औषधि बनाने में होता है। इससे जो दूध निकलता है उसे कई औषधीय गुण पाए जाते हैं।
bargad ka ped ka mahatwa – Banyan tree importance in hindi
bargad ka ped हमारे लिए काफी महत्व रखता है।
न सिर्फ इसका धार्मिक महत्व है बल्कि आयुर्वेद में भी इसकी बड़ी चर्चा की गयी है।
बरगद का वृक्ष एक लम्बी उम्र वृक्ष है , हिन्दू परंपरा में इसे बहुत ही ज्यादा पूज्य माना जाता है.
और शायद इसीलिए bargad ka ped / Banyan tree हमारा राष्ट्रीय वृक्ष है।
bargad ka ped ka dharmik mahtwa | Banyan tree religious importance in hindi
bargad ka ped जो है उसे हम वैट वृक्ष भी कहते हैं।
इसे हिंदू धर्म में आस्था की मान्यताओं से जोड़ कर देखा जाता है। इसका वैज्ञानिक नाम फाइकस बेंगालेंसिस (Ficus Benghalensis) है।
बरगद के पेड़ का उल्लेख कई प्राचीन भारतीय ग्रंथों और शास्त्रों में मिलता है और दीर्घायु का प्रतीक है।
हिंदू पौराणिक कथाओं में, Banyan tree को इच्छाओं की पूर्ति प्रदान करने और भौतिक लाभ प्रदान करने के लिए माना जाता है।
अग्नि पुराण के अनुसार, जो , 18 महापुराणों में से एक है , बरगद का पेड़ जीवन का प्रतीक मन गया है।
हमारी मान्यताओं के अनुसार , पेड़ और उसके पत्ते कभी नहीं काटे जाते हैं और केवल अकाल के समय में इसका उपयोग भोजन के लिए कियाजा सकता है।
bargad ka ped ka aayurvedic mahtwa | Banyan tree aayurvedic importance in hindi
आयुर्वेद में भी इसका बहुत महत्व है। कई औषधियां बनती है इस पेड़ से।
बल्कि इस पेड़ का हर हिस्सा ही किसी न किसी रूप इ एक दवाई के रूप में इस्तमाल किया जा सकता है या उससे कोई दवाई बनाये जाती है।
बरगद की जड़ें , इसकी पत्तियां और इससे जो दूध निकलता है वह भी , सब औषधि के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है।
बरगद के पेड़ की पत्तियों में काफी गुण हैं। इसमें फ्रेडलीन (friedelin), ट्रीटेरपेनेस (Triterpenes), सिटोस्टेरोल (sitosterol) पाई जाती है।
इसके छाल में ग्लूकोसाइड्स, बेंगालिनोइड्स और फ्लेवोनॉयड ग्लाइकोसाइड्स पाई जाती हैं।
पेड़ की तनों और जड़ों में फाइटोस्टेरोलिन की मात्रा पाई जाती है। इसकी लकड़ी में लिग्लिक एसिड, बेंगालोसाइड और ट्राटेक्सास्टरोल रसायन पाया जाता है।
सो बरगद के पेड़ के ऐसे कई गुण है जो इसे एक दैवीय पेड़ बनाते हैं। इस पेड़ के गुण कई तरह के इंफेक्शन से बचाव करने में शरीर की मदद कर सकते हैं।
आयुर्वेद के अनुसार वट वृक्ष ठंडी तासीर का होता है और पित्त की समस्या को दूर करने में मदद करता है। यहाँ तक की बुखार, उल्टी , दस्त जैसे आदि में भी बरगद के पेड़ के हिस्से काम में आते हैं।
bargad ka ped ka patta kaise hai upyogi | बरगद के पत्ते
वट वृक्ष के पत्ते चेहरे की कांति को बढ़ाने में मदद करता है। बरगद की जड़ो में एंटीऑक्सीडेंट पायी जाती है। इसके जड़ों को धो के और पीस के चेहरे पे लगाने से लाभ होता है। इससे झुर्रियां काम होती है।
इसके पत्तों को थोड़ा गरम करके घाव पे बांधने पे घाव को ठीक होने में फायदा करता है।
कहते है की वट के बीज को पीसकर पीने से उलटी की समस्या दूर हो सकती है। लेकिन पहले आप किसी आयुर्वेदिक डॉक्टर से सलाह ले लें।
दातों की बीमारी में फायदा
बरगद के पेड़ में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट और एंटी-माइक्रोबियल तत्व आपके दातों को काफी फायदा होता है।
सो अगर दांत में दर्द या मसूड़ों में सूजन है तो
दांतों की सफाई के लिए आप इसके नरम टहनियों का इस्तेमाल दातून के तौर पर भी कर सकते हैं।
सो हम कुछ फायदे यहाँ लिख रहे हैं। आप एक बार अपने आयुर्वेद डॉक्टर से जरूर बात कर लें। यह बहुत जरूरी है।
- दांत और मसूड़ों को रखे स्वस्थ में मदद करता है।
- इम्युनिटी को बढ़ने में मदद करता है।
- बवासीर में आराम देता है।
- डायबिटीज में भी बरगद का पेड़ से बानी दवाई मददगार है।
- कहते हैं की इससे बानी दवाई डिप्रेशन में सहायक होती है।
- डायरिया में लाभदायक होता है।
- बांझपन और नपुंसकता में लाभदायक होता है।
- जोड़ों के दर्द में मददगार साबित होता है।
- यूरिनेशन से सम्बंधित समस्या में भी मदद करता है।
- फोड़े/ फुंसी की समस्या में भी बरगद का लेप मदद करता है।
- कोलेस्ट्रॉल को करे नियंत्रित करने में हेल्प करता है।
- खुजली की समस्या है तो भी इसके बारे में सोच सकते हैं।
- त्वचा की समस्याओं में लाभकारी
- बालों के लिए भी यह लाभकारी होता है।
Banyan Tree in Hindi – Bargad ka ped – FAQ
यह वृक्ष त्रिमूर्ति का प्रतीक है , इसकी छाल में विष्णु ,जड़ में ब्रह्मा और शाखाओं में शिव का वास माना जाता है.
जिस प्रकार पीपल को विष्णु जी का प्रतीक माना जाता है , उसी प्रकार बरगद को शिव जी माना जाता है.
Banyan Tree 500 से 1000 साल तक जीवित रहता है। आपको शायद पता न हो पर बैंगलोर के लगभग ३० कम दूर एक बरगद का पीड़ है जो 500 साल पुराना है। यह ४ एकड़ एरिया में फैला हुआ है।
बरगद का पेड़ हमारी धार्मिक मान्यताओं से जुड़ा हुआ है। हिन्दू धर्म में इसे पूज्य माना गया है। बरगद के पीड़ का लगभग है हिंसा किसी न किसी रूप से फायदा देता है। बरगद का पेड़ बहुत बड़ा होता है।
वैसे तो कोई भी ज्ञात साइड इफ़ेक्ट नहीं है। लेकिन अगर आप इसे किसी मौखिक दवाई के रूप में इस्तेमाल करना चाह रहे हैं तो जरूरी है की आप एक आयुर्वेदिक डॉक्टर से मिल लें।
वट सावित्री एक महत्वपूर्ण पूजा है। वट सावित्री के दिन महिलाएं व्रत रखती है और बरगद के पेड़ की पूजा करती है। कहते हैं की बरगद के पेड़ में हमारे तीनो देवताओं भ्रम्ह , विष्णु और महेश तीनो का वास रहता है।
फोड़े-फुंसी की समस्या त्वचा से संबंधित एक समस्या है। बरगद के पेड़ में कुछ ऐसे रासायनिक तत्व हैं जो त्वचा की समस्या को दूर करने में मदद करता है।
द ग्रेट बरगद एक बरगद का पेड़ (फ़िकस बेंगालेंसिस) है, जो भारत के कोलकाता के पास आचार्य जगदीश चंद्र बोस भारतीय वनस्पति उद्यान, शिबपुर, हावड़ा में स्थित है।
यह पेड़ 250 साल से भी ज्यादा पुराण है और यह पेड़ इतना बड़ा है की यह १८,000 sq meter से भी जयादा एरिया में फैला है।
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